हिन्दी उपन्यास को नया धरातल देता कुबेर
बी.एल. आच्छा डॉ. हंसा दीप का उपन्यास कुबेर कुछ मायनों में विशिष्ट है। एक फ्लैश बैक, जो ग्रामीण अंचल की टपरी से निकलकर न्यूयॉर्क की झिलमिलाती ज़िंदगी तक ले जाता है। यह गरीबी में...
बी.एल. आच्छा डॉ. हंसा दीप का उपन्यास कुबेर कुछ मायनों में विशिष्ट है। एक फ्लैश बैक, जो ग्रामीण अंचल की टपरी से निकलकर न्यूयॉर्क की झिलमिलाती ज़िंदगी तक ले जाता है। यह गरीबी में...
डॉ. विजेंद्र प्रताप सिंह डॉ. हंसा दीप का प्रथम उपन्यास ‘बंद मु्ठ्ठी’ सिंगापुर एवं कनाडा के घटनाक्रमों पर आधारित डायरी एवं संस्मरण दोनों विधाओं का सम्मिश्रण कहा जा सकता है। अधिकांश उपन्यास अतीत की...
विज्ञान में जिस तरह थ्योरी को समझाने के लिये प्रेक्टिकल कक्षाओं की अनिवार्यता तार्किक है वैसे ही शिक्षण संस्थानों से जुड़ी कई सैद्धांतिक संहिताएँ अपने व्यावहारिक पहलुओं के साथ एक नये रूप में उजागर...
जीवन में ऐसे क्षण कभी-कभी ही आते हैं जब ऐसी तृप्ति महसूस होती है, बड़ी तृप्ति। छोटी-छोटी तृप्तियों की तो गिनती करना भी संभव नहीं हो पाता जो रोज़ ही महसूस होती हैं। जैसे...
कथाकार, लेखिका हंसा दीप से सत्यवीर सिंह की बातचीत मध्यप्रदेश के आदिवासी बहुल इलाके में जन्मी और देश में दस वर्ष तदुपरांत अमेरिका तथा कनाड़ा के उच्च शिक्षा संस्थानों में हिंदी अध्यापन करवाने वाली...
वे बहुत खुश थीं, इतनी कि वह खुशी पिलकते-पिलकते बाहर आ रही थी। रियूनियन का संदेश जब मिला तो बीते जमाने के सारे साथियों की धुंधली तस्वीरें सामने आने लगीं। उन तस्वीरों के साथ...
(भारतीय भाषा परिषद, कोलकाता की मासिक पत्रिका ‘वागर्थ’ के अक्तूबर अंक में प्रकाशित कहानी) वे दोनों सातवीं कक्षा में मिली थीं, जब दोनों अपने-अपने देश से आई थीं न्यूयॉर्क के फ्लशिंग हाईस्कूल में। वह स्कूल...
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